भगत,आज़ाद,नीरजा, वो भी थे एक युवा....
दौर था वो क्रांति का, अहिंसा का, जोश का....
तुझमे गर्म खून अगर , आगे बढ़ लड़ के मर....
मांगने से न मिला कभी किसी को हक़ यहाँ.....
छीनने की चाह ने राख़ को ख़ाक किया.....
तू ज़िंदा है अगर कही जाग तू हक़ कमा....
जाग तू हक़ कमा...
जाग तू हक़ कमा.....
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